Saturday 10 September 2016

"वो चार बिस्किट"



क्या कभी बिस्किट किसी को प्रेरणा दे सकते हैं ? आप सोच रहे होंगे कि कैसी बेतुकी बात है बिस्किट कैसे किसी को प्रेरणा दे सकते हैं | पर अगर वह चार बिस्किट किसी की भावना से जुड़े हो तो जरूर प्रेरणा दे सकते हैं | मैंने चार बिस्किट को अपनी प्रेरणा का स्रोत बनाया |
 इस प्रेरणादायक कहानी की शुरुआत 16 अक्टूबर 2015 को शुरू हुई दोपहर का समय था मैं टीवी देख रहा था | तभी मेरी कालौनी में एक बुजुर्ग महिला की आवाज सुनी वो सब्जी बेच रही थी | यह आवाज जानी पहचानी थी | मैं अपना परिचय करा दूँ मेरा नाम डा० विभू शर्मा है और पेशे से डाक्टर हूँ | पढाई की वजह से अपने घर चन्दौसी जिला संभल उत्तरप्रदेश से 10-12 बर्ष से बाहर रह रहा हूँ | काफी समय बाद भी जब बुजुर्ग महिला की आवाज कानों में पड़ी तो तुरंत पहचान गया क्योंकि हमने उन्हें बचपन से ही सब्जी बेचते हुए देखा था | मम्मी ने आवाज लगाई विभू देखो अम्मा क्या बेच रही है | मैं घर के दरबाजे की ओर गया और दरबाजा खोला तो देखा की एक बुजुर्ग महिला सर पर टोकरी लेकर मेरी ओर आ रही है और दीवार का सहारा लेकर चल रही है | अब अम्मा बहुत बूढ़ी हो गई थी वो सही से चल भी नहीं पा रही थी | 
                    
                    मैंने पूछा अम्मा क्या बेच रही हो - "बेटा अरबी है " अम्मा बोली | 
                    मम्मी बोलीं अरबी तो तेरे पापा ले आए हैं 
                    पर चलो अम्मा से ले लो बेचारी इस उम्र में भी काम कर रही है 

और मैंने अम्मा की टोकरी उतरबाई और सब्जी तुलवाने लगा| 
कैलाशो अम्मा 
                   
                     मम्मी अम्मा से बात करने लगीं -" अम्मा कितनी उम्र है तुम्हारी " 
                     वो बोली " मोय न पतो मोय तो माँ-बाप दूध पीती बच्ची को छोड़ मरे 
                     तब से धक्का ही धक्का हैं मैं तो ससुराल की भी मारी हूँ और
                     मायके की भी जिंदगी में दो घड़ी भी सुख नहीं देखो" | 

पर अम्मा की झुर्रियाँ साफ बयान कर रही थीं कि वो लगभग 100 बर्ष की हैं उनके चेहरे की मायूसी उनके कष्टों को ब्यान कर रही थी |
                      मम्मी ने पूछा "अम्मा तुम्हारा बेटा है " ??
                      वो बोली " है तो पर उसके लिए तो उसके ससुराल वाले और
                     बीबी बने रहे वा को महतारी ( माँ) से का मतलब , 
                     महतारी ने कछु न कियो वा के लिए" 

और आसमान की तरफ देखकर भगवान से अपनी मौत की प्रार्थना करने लगी | यह सब देखकर मुझे बहुत दुख लग रहा था और सोच रहा था कि आखिर लोग ऐसा क्यों अपने माता-पिता को उनके बुड़ापे मैं क्यों छोड़ देते हैं , जो माँ अपने खून से औलाद को सींचती है ,सारे कष्टों से अपने बच्चों को बचाती है वो क्यों उनकी बुढ़ापे की लाठी नहीं बनते | अम्मा ने अरबी तोल दी और बोली "बेटा देखियो सही तुला है मुझे तो सही दिखे न है अपने आप देखलियो" मैंने भगवान से प्रार्थना की हे भगवान आपने इस अम्मा को जीवन में इतने कष्ट क्यों दिए जिस उम्र में लोग खाट से उठ नहीं पाते हैं अम्मा को सब्जी बेचनी पड़ रही है .....भगवान इनके कष्टों को हर ले अब और कष्ट न मिले अब इनको | मैंने सामान लेकर अम्मा को रूपय दे दिए वो बहुत खुश हुईं और रूपयों को चूमा और माथे से लगाया और बोली 

                " आज सुबह से बोनी तुमने ही कराई है ....
                  बेटा जरा 250 ग्राम का बाट ढूंडना 
                  मुझे सही से दिखो न है मिल न रहो " 
                  मैंने ढूंड कर दिया वो बोली 
                 " इस डब्बे में रख दियो" ...

स्टील का डब्बा मैंने खोला तो उसमे "चार बिस्किट" रखे हुए थे |
                  मैंने और मेरी मम्मी ने पूछा अम्मा सुबह से कुछ खाया ! 
                  वो बोलीं " कुछ बिकरी न हुई सुबह से घूम रही थी अब खा लूँगी 
                " मम्मी ने पूछा अम्मा क्या खाओगी वो बोली " 
                  ये हैं न चार बिस्किट ये खा लूँगी " 
                  मैंने और मम्मी ने हैरानी से कहा बस "चार बिस्किट " 

मैं सोचने लगा की इनके जीबन की पीड़ा की हद हो गई है इस शहर में समाज सेवियों की कमी न है पर उनकी समाज सेवा केवल फोटो खिंचवाने तक ही सीमित है | मम्मी घर के अंदर गईं और उनको खाने को लाईं पर वो मना करती रही पर जब ज्यादा जिद की तो खा लिया | मैंने उनसे पूछा कि कहाँ रहती हो सरकारी योंजनाओं जैसे वृद्ध पेंशन , वीपीएल कार्ड इत्यादी किसी का लाभ मिला है वो बोली " गुमथल रहती हूँ कछु न मिलो " और कहकर चली गईं | वो तो चली गईं पर मेरे मन मे सबाल छोड़ गईं मैं हर पल हर छड़ उनके बारे मे सोचता रहता।


मैंने सोचा कि अम्मा के लिए कुछ तो करना चाहिए पर नहीं जानता था कि शुरूआत कैसे करूँ | मैं उनकी जानकारी जुटाने में लग गया | मैंने पहली शुरूआत अपनी फेसबुक पर इनकी कहानी को पोस्ट कर के की फिर मैंने फेसबुक पर ही "Helpforhumanity" के नाम से पेज बनाया "Helpforhumanity" के नाम से ब्लाग लिखा और यूट्यूब पर "Helpforhumanity" के नाम से ही विडियो अपलोड की | नेता, अभिनेता से लेकर पत्रकारों समेत 200 से ज्यादा नामचीन हस्तियों को लिखा | प्रधानमंत्री  श्री नरेंद्र मोदी जी और अखिलेश यादव जी को भी लिखा | 9 नबंबर 2015 को मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश श्री अखिलेश यादव जी का ईमेल का जबाब आया और उन्होंने जिला अधिकारी संभल को बुजुर्ग अम्मा की मदद को प्रेषित किया | 

मैं बहुत खुश था कि अब तो बहुत जल्द ही अम्मा को सभी सरकारी योंजनाओं का लाभ मिलेगा | इस दौरान मैंने अम्मा को पूरी मदद करनी शुरू कर दी ताकि उनको इस उम्र में शारिरिक श्रम न करना पड़े और प्रड़ कर लिया कि अम्मा की जिम्मेदारी अब मेरी है | मुख्यमंत्री जी के ईमेल वाले पत्र को लेकर मैं जिला अधिकारी संभल के दफतर 14 नबंबर 2015 को स्वयं देकर भी आया और इस संबंध में उनके दफतर के चक्कर लगाता रहा | मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मुख्यमंत्री जी के पत्र के बादभी प्रशासन इतना उदासिन क्यों है | 26 नबंबर 2015 को दैनिक जागरण संभल ने भी इनकी खबर को प्रमुखता से निकाला | फिर मैंने #HelpKailasho की मुहीम को शुरू किया और ट्वीटर पर 1100 से ज्यादा ट्वीट किए काफी लोगों ने मेरे कार्य को सराहाया और अम्मा की पोस्ट को शेयर और लाइक किया| ट्वीटस भी बहुत शेयर किए गए और आखिरकार 3 महीने की निरंतर मेहनत का नतीजा निकला  जो मेरे 7 बार जिला अधिकारी संभल के दफतर के चक्कर लगाने के बाद भी नहीं हो सका वो सोशल मिडिया के सहयोग से हो पाया |#HumanityWin


यह 3 महीने का समय मेरा बहुत कठिन समय रहा क्योंकि दिसंबर में मेरा पीजी का भी एग्जाम था इसलिए मुझे तैयारी भी करनी थी | पर साथी ही साथ में यह भी चाहता था कि अम्मा की जल्द-से-जल्द पेंशन और बाकी सारी सुविधा मिल जाए | जब भी मैं उदास होता तो "वो चार बिस्किट" का छण याद कर लेता जिससे मुझे प्रेरणा मिलती थी | मेरा बस यही एक स्वार्थ था कि मैं अम्मा के चेहरे पर खुशी देख सकूँ और वो पूरा हुआ | जिला अधिकारी संभल 20 जनवरी 2016 को स्वयं बुजुर्ग कैलाशो के घर गए और उनकी वृद्धा पेंशन स्वीकृत कर दी और वीपीएल कार्ड एवं बैंक की पास बुक सभी उनको अपने हाथ से दिया यह कैलाशो अम्मा के लिए किसी सम्मान से कम नहीं था और जिला अधिकारी संभल का नेक कार्य था कि उन्होंने बुजुर्ग कैलाशो को कोई असुबिधा न हो तो सारा इंतजाम वहीं करा दिया |आज कैलाशो अम्मा खुश हैं क्योंकि अब उनको वो सब मिल गया जिसकी वो हकदार थीं बस एक कसर बाकि है जो उनकी इच्छा है कि अगर बेटा उनके साथ रहे तो जीवन के आखरी छण भी खुशी से कट जाएंगे |




सभी मित्रो का धन्यवाद जिन्होंने इस पुण्य कार्य मे योगदान दिया और मुख्यमंत्री जी उत्तरप्रदेश का बहुत-बहुत धन्यवाद |

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